Tuesday, March 6, 2012

एक कलाकार

एक मीठे से पल के सहारे
वो खट्टी सी ज़िन्दगी बिताना चाहता है
वो ज़िद करता है, वो कसमसाता है
कोई प्यारा सा उसे प्यार से देखे
वो मन ही मन ये चाहता है
आवाज़ देता है, शोर मचाता है,
चीखता है, चिल्लाता है...
लोग हँसते हैं, कुछ ताली बजाते हैं,
कुछ सरफिरे उसे अपने पास बिठाते हैं
वो खुश होता है, जगमगा उठता है
और एक दिन...
अपने हुनर में सिमट कर
मौत की चादर ओढ़कर
गाता, गुनगुनाता, चीखता, चिल्लाता
सो जाता है...

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