Monday, April 16, 2012

नट

एक लकीर खिंची
जो दिखाई नहीं देती
मगर है !
ये लकीर हमें बताती है
कि हम दो मुल्कों में बाँट दिए गए हैं
हम सदियों से ढोल बजाते
और चोरी करते
गोरे हमसे डरते थे
पर हम उन वक्तों में आजाद थे
लेकिन
अब अपने नहीं डरते
चोरी तो क्या
ढोल भी नहीं बजाने देते
वो कहते हैं
तुम्हारी जात मरने के लिए ही पैदा हुई है

यूँ तो हम सदियों रस्सी पर दौड़े
अब ज़मीं पर चलना भी मुहाल है

Sunday, March 25, 2012

पल, सिर्फ यही पल

यही पल है
सिर्फ यही पल
और कुछ भी नहीं
इसी पल की गोद में
हम पैदा होते हैं
और मरते हैं
न कुछ था
और न कुछ होगा
सच है तो सिर्फ़
जुड़ने में
आप के इस पल के साथ

Tuesday, March 13, 2012

निगरानी पर निगरानी

होले से, चुपके से
उसने मेरी डायरी के पन्नो को टटोला

मुझे पढ़ने के लिए
अनायास मैंने उसे देख लिया
और पुछा
"निगरानी?"
"नहीं नहीं ऐसे ही"
उसने कहा...
निगरानी पर निगरानी हुई
उड़ती हुई इक कहानी हुई

खुदा के लिए खुदा से

तुम्हारी ज़ात
इक पहेली है
जिसे इन दिनों
इंसान खून से रंग रहा है
तुम्हारे नाम पर क़त्ले आम
एक आम सी बात हो चली है
टोपियाँ नहीं, नाम नहीं,
सर कट रहे हैं
क़ातिल तुम्हारी क़सम खा रहे हैं
हर सम्त
सिर्फ़ तुम्हारी मौजूदगी साबित करने
कि होड़ लगी है
तुम हो या फिर नहीं हो
ये बहस हर नुक्कड़ पर होली खेलने
की फिराक में रहती है
जो
तुम्हे जानते नहीं
वो
तुम्हे सबसे ज़्यादा मानते हैं
तुम क्यों ख़ामोश हो?
इन्हें बताते क्यों नहीं
कि तुम हो,
एक बच्चे की छोटी सी ख़ुशी
बहती नदी की धारा में,
जंगल के सन्नाटे में
प्यार में मुहब्बत में
तुम जिंदा हो!!!


Tuesday, March 6, 2012

एक कलाकार

एक मीठे से पल के सहारे
वो खट्टी सी ज़िन्दगी बिताना चाहता है
वो ज़िद करता है, वो कसमसाता है
कोई प्यारा सा उसे प्यार से देखे
वो मन ही मन ये चाहता है
आवाज़ देता है, शोर मचाता है,
चीखता है, चिल्लाता है...
लोग हँसते हैं, कुछ ताली बजाते हैं,
कुछ सरफिरे उसे अपने पास बिठाते हैं
वो खुश होता है, जगमगा उठता है
और एक दिन...
अपने हुनर में सिमट कर
मौत की चादर ओढ़कर
गाता, गुनगुनाता, चीखता, चिल्लाता
सो जाता है...

Sunday, March 4, 2012

बेबस माँ और बाप!

अक्सर, खून के रिश्तों में
कुछ सुनहरे पल बटोरने ख़ातिर
भूल जाते हैं
कि जब, हम थक कर बैठेंगे
वो रिश्ते हमें बटोरने नहीं आयेंगे

आंसू नहीं, सितारे

हमारी आँख में चमकते
मोतियों जैसे सफ्फ़ाक
टिमटिमाते तारे,
ज़मीं पर
जो गिर भी जाएँ
देखना...
आँसू न बनने पाएं कभी